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नक्सल मोर्चे पर बड़ी जीत: 1.5 करोड़ के मोस्ट वांटेड इनामी नक्सली भूपति सरेंडर, CM बोले- ऐतिहासिक सफलता

आशुतोष ठाकुर, रायपुर. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने इतिहास रच दिया है। शांति, संवाद और विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। ‘पूना मारगेम पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित इस सामूहिक समर्पण ने बस्तर की दशकों पुरानी कहानी को नई दिशा दी है। अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जो कभी नक्सली गतिविधियों के केंद्र माने जाते थे आज शांति और विश्वास के नए युग में प्रवेश कर चुके हैं।

छत्तीसगढ़ से लेकर महाराष्ट्र तक फैला था आतंक का जाल

आज 210 नक्सलियों ने सरकार के पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण किया गया है इसमें 1 CCM, 4 DKSZC, 1 RCM, 21 DVCM, 61 ACM, 98 पार्टी सदस्य और 22 PLGA/RPC मेंबर शामिल है। इनके साथ 153 आधुनिक हथियार भी सुरक्षा बलों के हवाले किए गए हैं, जिनमें 19 AK-47, 17 SLR, 23 INSAS और 11 BGL लांचर शामिल हैं।

मांझी चालकी समाज के मुखियाओं ने इन पूर्व माओवादियों का लाल गुलाब देकर स्वागत किया। हिंसा छोड़ने और विकास की राह चुनने का यह प्रतीकात्मक क्षण बस्तर की धरती पर नई उम्मीद का संदेश दे गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने कहा यह सिर्फ आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि विश्वास की वापसी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में हमारा लक्ष्य स्पष्ट है, 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद के अभिशाप से पूर्णतः मुक्त करना।

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