
संदीप सिंह ठाकुर, रायपुर. मुंगेली जिले के लोरमी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के पथ संचलन ने केवल अनुशासन की झलक नहीं दी, बल्कि समाज को एक नई दृष्टि और दिशा दी। तृतीय वर्ष प्रशिक्षित स्वयंसेवक खेतमल खत्री, जिन्होंने एक पैर खोने के बावजूद बैसाखी के सहारे संचलन में हिस्सा लिया, इस आयोजन के जीवंत प्रतीक बन गए। पथ संचलन के दौरान इस दृश्य ने सबका दिल छू लिया। इस बीच खेतमल पथ संचलन की कतार में अनुशासित चाल से कदम मिलाते हुए आगे बढ़ रहे थे, तृतीय वर्ष प्रशिक्षित स्वयंसेवक खेतमल खत्री जिनका एक पैर नहीं है। दुर्घटना में घुटने तक पैर कट जाने के बाद भी उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। इस शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित पथ संचलन में बैसाखी के सहारे उन्होंने न केवल संचलन में भाग लिया, बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ पैदल मार्च पूरा किया। इधर, जब घोष की ताल पर उनके कदम आगे बढ़े, तो दर्शकों की आंखें नम थीं, पर गर्व से भरी हुईं यह दृश्य केवल अनुशासन का नहीं, बल्कि अटूट संकल्प और राष्ट्रभक्ति की जीवंत मिसाल था।

इसको लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बिलासपुर के सह विभाग कार्यवाह राजकुमार कश्यप ने कहा कि जिसका पैर थम गया, उसका जज्बा चल पड़ा, खेतमल खत्री ने दिखाया कि शरीर नहीं, मन और समर्पण ही असली ताकत है। इस दौरान बैसाखी के सहारे बढ़े कदमों ने सबका दिल जीत लिया। उन्होंने कहा संघ का कार्य केवल कार्यक्रम नहीं, यह जीवन दृष्टि है जो हर कठिनाई में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। इस पथ संचलन ने जन-जन में सामूहिक जिम्मेदारी की भावना जगाई है। शताब्दी वर्ष के अवसर पर समाज ने भी उत्साहपूर्वक सहभागिता का संकल्प लिया है। अब कोई उधेड़बुन नहीं, कोई दूरी नहीं। सज्जन शक्ति अब एकजुट होकर ‘पंच परिवर्तन’ और शताब्दी वर्ष के सात कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए तैयार है।




