बदलते बस्तर की कहानी: नक्सली छोड़ रहे हैं हिंसा का रास्ता, बस्तर में शांति का नया सवेरा- देखें वीडियो

आशुतोष ठाकुर, रायपुर. देश के इतिहास में आज एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हो रहा है। बस्तर में अब तक का सबसे बड़ा नक्सली समर्पण होने जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गृहमंत्री विजय शर्मा, उप मुख्यमंत्री अरुण साव और पुलिस के शीर्ष अधिकारी आज जगदलपुर पुलिस लाइन में मौजूद रहेंगे, जहां 200 से अधिक सशस्त्र नक्सली अपने हथियार डालने जा रहे हैं।

यह वही बस्तर है, जहां कभी बंदूक की आवाज़ गूंजती थी, लेकिन आज यहां शांति और बदलाव की नई सुबह दस्तक दे रही है।जानकारी के मुताबिक, समर्पण करने वालों में सीसी मेंबर, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, जन मिलिशिया कमेटी के सदस्य और कई कुख्यात नक्सली शामिल हैं। इस ऐतिहासिक समर्पण के बीच एक बड़ा नाम सामने आया है, रूपेश उर्फ तक्कलापल्ली वशुदेव राव, जिसे सतीश के नाम से भी जाना जाता है।

रूपेश ने न सिर्फ मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है, बल्कि बाकी माओवादियों से भी अपील की है कि वे भी हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। रूपेश ने कहा पहले बचना ज़रूरी है, फिर क्या करना है, सोचा जा सकता है। कई साथियों को नहीं पता कि हम इस प्रक्रिया में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन जब मीडिया के ज़रिए पता चलेगा तो वे भी संपर्क कर सकते हैं।
इसके लिए उन्होंने एक संपर्क नंबर 6267138363 भी जारी किया है ताकि जो नक्सली मुख्यधारा में लौटना चाहें, वे बात कर सकें।

विकास की राह पर बस्तर
यह कोई जन अदालत की तस्वीर नहीं, बल्कि जन-समर्पण की तस्वीर है। वो हाथ जो कभी हथियार थामे थे, अब आत्मसमर्पण के लिए आगे बढ़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि माड़ इलाके से लगभग 130 नक्सली, उत्तर पश्चिम सब-जोनल प्रभारी रूपेश की अगुवाई में, इंद्रावती नदी पार कर बैरमगढ़ की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं, कांकेर के कामतेड़ा बीएसएफ कैंप में भी 50 नक्सली स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य भास्कर मंडावी के नेतृत्व में पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं। बस्तर पुलिस ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया है कि यह समर्पण सिर्फ एक ऑपरेशन की सफलता नहीं, बल्कि बदलते बस्तर की कहानी है।
सरकार की शांति, संवाद और विकास पर केंद्रित नीति ने नक्सल कैडरों को हिंसा छोड़कर सम्मानजनक जीवन की ओर प्रेरित किया है। यह दिन बस्तर के इतिहास में शांति और पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर दर्ज होने जा रहा है।
यह कोई जन अदालत की तस्वीर नहीं, बल्कि जन-समर्पण की तस्वीर है। वो हाथ जो कभी हथियार थामे थे, अब आत्मसमर्पण के लिए आगे बढ़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि माड़ इलाके से लगभग 130 नक्सली, उत्तर पश्चिम सब-जोनल प्रभारी रूपेश की अगुवाई में, इंद्रावती नदी पार कर बैरमगढ़ की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं, कांकेर के कामतेड़ा बीएसएफ कैंप में भी 50 नक्सली स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य भास्कर मंडावी के नेतृत्व में पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं। बस्तर पुलिस ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया है कि यह समर्पण सिर्फ एक ऑपरेशन की सफलता नहीं, बल्कि बदलते बस्तर की कहानी है। सरकार की शांति, संवाद और विकास पर केंद्रित नीति ने नक्सल कैडरों को हिंसा छोड़कर सम्मानजनक जीवन की ओर प्रेरित किया है। यह दिन बस्तर के इतिहास में शांति और पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर दर्ज होने जा रहा है।




