April 18, 2025
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मुंगेली. छत्तीसगढ़ के लोरमी पालिका क्षेत्र अंतर्गत नगर के बाजार मोहल्ले में गुप्ता परिवार द्वारा आयोजित शिवमहापुराण में चतुर्थ दिवस पंडित तारेंद्र महराज ने शिव पार्वती विवाह एवं शिवलिंग उत्तपत्ति का विस्तृत व्याख्यान किये. इस अवसर पर शिव पार्वती विवाह की जीवंत झांकी के नगर में भव्य शिव बरात बैंड के साथ बरात निकाली गई. जिसके नगरवासियों ने स्वागत कर परिवार एवं मोहहल्लेवासी जमकर थिरके.पंडित तारेंद्र महाराज ने बताया कि किस प्रकार से भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए सती ही पार्वती बनाकर के मैं हिमाचल की कन्या बनकर के पुनः अवतार लेकर के आई और बाल्य काल से ही शिव भक्तों बना करके पार्थिव शिवलिंग बनाकर रखें पूजा तब जप करती रही.


महाराज ने कहा कि जीवन में संस्कार माता पार्वती जैसा होना चाहिए हमारे शास्त्र में बच्चों को संस्कार गर्व से ही दीया जाता है माता जब अपने बच्चे को गर्व में धारण करके रखती है इस इस कल से माता को गीता रामायण महाभारत का सुनना चाहिए.ताकि आने वाला संतान भागवत प्राप्त कर सके और उसकी मां भगवान में सदा लीन रहे महाराज जी ने बताया कि किस प्रकार से भगवान शंकर जी ने माता सती को पुनः पार्वती के रूप में प्राप्त किया और महाराज जी ने शिव विवाह की व्याख्या करते हुए कहा भगवान शंकर का प्रतीक श्रृंगार संसार को उपदेश प्रदान करते हैं भगवान शिव भस्म धारण किए जिस भगवान भस्म धारण करके संसार वालों को कहते हैं कि तन को जितना सवार आखिर में एक दिन यह तन भस्म ही बन जाएगा.भगवान शंकर जी बागमबर धारण करके संसार को उपदेश करते हैं कि शेर वर्ष में एक बार संतान उत्पत्ति करता है ग्रस्त जीवन योग के लिए होता है ना कि भोग के लिए.

माथे पर चंद्रमा धारण करके शिवजी ने उपदेश दिया इस बीच उन्होंने अपने माथे को हमेशा शीतलता रखने की बात कही. शीश पर गंगा को धारण करके शिव ने उपदेश दिया की व्यक्ति के सिर पर हमेशा भक्ति की धारा प्रवाहित होती रहे. वह भगवान शंकर बूढ़े नदी पर बैठकर के संसार वालों को उपदेश दिया की बेल धर्म का प्रतीक है व्यक्ति को धर्म का सवारी करना चाहिए व्यक्ति के जीवन धर्म के अनुसार ही आगे बढ़े.
भगवान शंकर के पास तीसरा नेत्र है वह विवेक का नेत्र है भगवान तीसरी नेत्र को धारण करके संसार को उपदेश देकर के कहते हैं व्यक्ति को जीवन में विवेक की आवश्यकता पड़ती है इसलिए कुछ-कुछ स्थान पर विवेक भी लगाना चाहिए इस प्रकार से महाराज जी ने बताया कि भगवान शंकर जी सभी गण बहुत प्रेत पिशाच को लेकर के राजा हिमाचल माता मैंना के पावन नगरी में दूल्हा बनकर के भगवान पधारे और माता महीना के बार-बार प्रार्थना करने पर वह भक्त गण के बार-बार प्रार्थना करने पर भगवान शिव जी अपने नीले रूप कोत्याग करके कपूर की भांति रूप पर भगवान प्रतिबिंबित होने लगे इसी को कहा गया है कि कपूर गौरम करुणावतारं.
इस अवसर पर छेदी लाल,गुप्ता,पत्रकार नूतन गुप्ता, पुरुषोत्तम गुप्ता एवं नन्दकिशोर गुप्ता, विक्रांत गुप्ता सहित बड़ी संख्या शिवभक्त उपस्थित रहे.